आज राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राजभवन नैनीताल में पेयजल विभाग के उच्चाधिकारियों की बैठक ली। इस बैठक में सचिव पेयजल अरविन्द सिंह ह्यांकी, एमडी पेयजल रणवीर सिंह चौहान और सीजेएम जल संस्थान नीलिमा गर्ग मौजूद रहीं। राज्यपाल ने ग्रीष्मकालीन पेयजल संकटग्रस्त क्षेत्रों में वर्तमान में की जा रही वैकल्पिक व्यवस्था और विभाग द्वारा इस संकट को कम करने के लिए भावी योजनाओं की जानकारी ली।
राज्यपाल ने कहा कि पेयजल समस्या के तात्कालिक उपायों के साथ-साथ दीर्घकालिक उपाय खोजे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड व देश में जल संरक्षण एवं भूजल स्तर को बढ़ाये जाने हेतु व्यापक योजना बनाये जाने की आवश्यकता है जो देश में एक मिसाल बने। उन्होंने कहा कि विभागीय सक्सेस स्टोरी को अन्य स्थानों में भी लागू करने के प्रयास किये जाएं।
राज्यपाल ने वर्षा जल संग्रह के ठोस इंतजाम की जरूरत बताई। राज्यपाल ने टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर पेयजल व्यवस्था की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने डैशबोर्ड और मोबाइल आधारित एप्लिकेशन मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किए जाने के भी निर्देश दिए। राजपाल जल संरक्षण क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही संस्थाओं को प्रोत्साहित किए जाने और उनके सहयोग पर भी बल दिया।
बैठक में सचिव पेयजल द्वारा प्रदेश में वर्तमान में नगरीय क्षेत्रांतर्गत पेयजल संकटग्रस्त मोहल्लों की स्थिति, वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रांतर्गत पेयजल संकटग्रस्त बसावटों की स्थिति, प्रभावित ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र, विगत तीन वर्षों के दौरान नगरीय क्षेत्रांतर्गत संकटग्रस्त मोहल्लों का विवरण एवं विगत तीन वर्षों के दौरान ग्रामीण क्षेत्रांतर्गत संकटग्रस्त बसावटों का विवरण की जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया कि पेयजल हानि को रोकने लिए शहरी तथा अर्ध शहरी क्षेत्रों में नवनिर्मित योजनाओं में मीटर व्यवस्था को अनिवार्य किया गया है तथा पुरानी योजनाओं में भी मीटर संयोजन प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं लाइन में लीकेज की समस्या से बचने के लिए विभाग द्वारा नाबार्ड के सहयोग से सेंसर युक्त निगरानी व्यवस्था शुरू किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। वर्तमान में पेयजल से संबंधित शिकायतों का समाधान टोल फ्री नम्बर से किया जा रहा है।
सचिव पेयजल अरविन्द सिंह ह्यांकी ने जानकारी दी की राज्य द्वारा विभिन्न जल संरक्षण गतिविधियों के लिए स्प्रिंग और रिवर रिजूवनेशन एजेंसी (सारा) का गठन किया गया है, जिसमें विभिन्न विभागों यथा वन, जलागम, ग्राम्य विकास, पेयजल, सिंचाई, लघु सिंचाई, कृषि, पंचायती राज आदि द्वारा जल संरक्षण के कार्य प्रस्तावित है। चिन्हित जल स्रोतों के संरक्षण एवं स्रोत संवर्धन हेतु कार्य-योजना तैयार की गई है, जिसमें चाल-खाल, चैक डेम, कंटूर ट्रेंच, परकोलेशन पिट, वृक्षारोपण के कार्य प्रस्तावित हैं। पेयजल विभाग द्वारा जल स्रोतों के संरक्षण एवं स्रोत संवर्धन हेतु आगामी कार्य-योजना की भी जानकारी दी गई।