देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) में सांझ संस्था के सहयोग से एक दिवसीय योग एवं स्वास्थ्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में सांझ संस्था के संस्थापक नवीन वार्ष्णेय ने आदियोग सूत्र पर आधारित सांस लेने के विज्ञान और प्राकृतिक स्वास्थ्य प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया।
वार्ष्णेय ने कहा कि स्वास्थ्य प्रकृति की देन है और उपचार भी प्राकृतिक होना चाहिए। उन्होंने बताया कि यदि हम अपनी सांसों, मन और चित्त पर नियंत्रण पा लें, तो शरीर में स्व-निदान, स्व-रक्षा और स्व-उपचार की अद्भुत क्षमता विकसित हो जाती है। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली में बढ़ता तनाव, गलत खानपान, और असंतुलित दिनचर्या जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का मुख्य कारण है, जिन्हें योग, प्राणायाम और नेचुरोपैथी के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि सही तरीके से सांस लेना ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है। प्रति मिनट लगभग 15 सांसें सामान्य और संतुलित जीवन का संकेत हैं। वार्ष्णेय ने यह भी कहा कि मनुष्य अपने जीवन में डिस्ट्रेस, डिसऑर्डर और डिज़ायर के कारण ही दुखी होता है। अर्द्धचेतन मन की शुद्धि और सकारात्मक सोच ही मानसिक स्वास्थ्य का आधार है। उन्होंने वर्तमान समय में बच्चों में बढ़ते अवसाद के विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों को अवसाद से बचाने के लिए मां का प्यार और पिता की प्रशंसा अत्यंत आवश्यक है। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने दुख और तकलीफों के पीछे के विज्ञान को समझा।
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने कहा कि आज की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली में मनुष्य स्वयं से दूर होता जा रहा है। ऐसे में इस प्रकार की कार्यशालाएं हमें मानसिक शांति, स्वास्थ्य जागरूकता और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
सचिव आयुष दीपेन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि मानव शरीर और प्रकृति का रिश्ता गहरा है। आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा, योग और ध्यान के माध्यम से शरीर की प्राकृतिक हीलिंग क्षमता को पुनः सक्रिय किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केवल रोग न होना नहीं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संतुलन का नाम है।
कार्यशाला में यूएसडीएमए के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, डॉ. केके पाण्डे आदि मौजूद थे।